लेखनी प्रतियोगिता -16-Nov-2021
Name abhishek jain
Insta ajain_words
किनारे बैठ पोखर की
ढलते सूरज को देखता हुँ
दिन भर बीते किस्सो
जरा फिर से दोहराता हूँ
पानी को पिघलाती लालिमा
कुछ एहसास मुझमे भी चमका देती है
हकीकत से परे जिंदगी को भी
मेरे ख़्वाबो की मंजिल बना देती है
ढलती रोशनी मेरी आँखों को
मध्यम सी कर जाती है
खाली मस्तिष्क में हजारों
सवाल पैदा कर जाती है
तब उगता चाँद शीतलता यूँ
बरसाता है उस दिन के अंत मे
अगले दिन की हकीकत का
नया एहसास करा जाता है
ठंडी हवा भी मन को
महकाने लगती है
की आज भी जिंदा है
मेरे ख़्वाब इस जुनूँ से भर जाती है
ढलते सूरज को देखना जैसे मानो
पोखर किनारे जिंदगी को
समझने का मौका मिल जाता है
फिर लेकर विदा सूरज से, वादा कर
खुद से की कल खुद को भी चमकाएंगे
सजाया जो ख़्वाब सूरज को देखकर आज
उसे आने वाले कल में हकीकत बनाएंगे।
Sapna shah
17-Nov-2021 02:18 PM
Sundar
Reply
Ajain_words
17-Nov-2021 04:00 PM
Shukriya sa
Reply
Ramsewak gupta
17-Nov-2021 11:19 AM
Very nice
Reply
Ajain_words
17-Nov-2021 01:22 PM
Shukriya sa
Reply
Niraj Pandey
17-Nov-2021 10:20 AM
बहुत ही बेहतरीन
Reply
Ajain_words
17-Nov-2021 01:22 PM
Shukriya sa
Reply